Sunday 25 December 2016

हो तेरा ऊंचा नाम दुनिया में, कर कोई नेक काम दुनिया में। आज रावण हैं हर चौराहे पर, अब नहीं दिखते राम दुनिया में।जिसने खुद अपने मन को जीत लिया, पा गया चारों धाम दुनिया में। स्वर्ग में रह के तय करेंगे वे, दाल आटे का भाव दुनिया में। जो नहीं मौत से डरे "असलम", पहुंचे उन तक सलाम दुनिया में।दोस्त की दोस्ती रही जिन्दा, रात में रोशनी रही जिन्दा। शायरों का लहू भी काम आया, कम से कम शायरी रही जिन्दा। आदमी के ही दिल में जाने क्यौ, रात-दिन तीरगी रही जिन्दा। दोस्ती धन की आग में कूदी, दिल में बस दुश्मनी रही रही जिन्दा।हो तेरा ऊंचा नाम दुनिया में, कर कोई नेक काम दुनिया में। आज रावण हैं हर चौराहे पर, अब नहीं दिखते राम दुनिया में।जिसने खुद अपने मन को जीत लिया, पा गया चारों धाम दुनिया में। स्वर्ग में रह के तय करेंगे वे, दाल आटे का भाव दुनिया में। जो नहीं मौत से डरे "असलम", पहुंचे उन तक सलाम दुनिया में।

Sunday 14 August 2016

श्रीभगवानुवाच।।ये मोह तुझको हुआ कहां से, ये श्रेष्ठ लोगों का गुण नहीं है। न स्वर्ग देगा ये मोह तेरा, न कीर्ति तेरी बढ़ा सकेगा।। तू कायरों की तरह रहे यह, तुझे तो शोभा नहीं है देता। हृदय को अपने यूं छोटा मत कर, तू छोड़ दुर्बलता उठ खड़ा हो। न शोक करने के योग्य हैं जो, तू उनकी खातिर है शोक करता। तू पंडितों से वचन है कहता, तो शोक पंडित नहीं हैं करते।। मैं और तू और ये राजा भी सब, हर एक युग में सभी रहे हैं। हम आज भी हैं भविष्य के भी, हर एक युग में सदा रहेंगे।। कि जैसे बचपन से फिर जवानी, जवानी से फिर बुढ़ापा आता। उसी तरह.से ये आत्मा भी बदलती रहती है देह अपनी।। पुरुष रखते हैं धैर्य जो इस विषय में मोहित नहीं हैं होते।। ये सर्दी गर्मी ये सारे सुख दुख, तोआते जाते ही रहते हैं सब। अनित्य हैं सब विषय ये भारत, तो इसलिए तू इन्हें सहन कर।। व्यथित न हो जो पुरुष दुख से, जो सम समझता हो सुख को दुख के। वो मोक्ष पाने के योग्य होगा, वही तो अमरत्व पा सकेगा।। न सत्य की ही कहीं कमी है, असत्य की सत्ता भी नहीं है। जो तत्वग्यानी हैं इसको अच्छी तरह समझते हैं जानते हैं।। तू जान अविनाशी सिर्फ उसको, जगत ये सारा है व्याप्त जिससे। विनाश करने की उसका जग में, किसी में सामर्थ्य भी नहीं है।। इस एक जीवात्मा के सारे शरीर नश्वर कहे गये हैं।। तू एक अविनाशी आत्मा है, सो युद्ध करता ही रह तू भारत।। मरा हुआ जो इसे समझता , या मारता है , समझ रहा है। तो आत्मा को जो ऐसा समझे , वो आत्मा को नहीं समझता।। न मारता है, न मरता है यह, न जन्म लेता न मृत्यु पाता। यह नित्य शाश्वत जीवात्मा तो, किसी के द्वारा न मारा जाये।। अजन्मा अविनाशी आत्मा को, हे वीर भारत जो मानते हैं, न तो किसी को वे मारते हैं, न ही वे मरते हैं वीर भारत।। पुराने कपड़े उतार कर ज्यों, शरीर कपड़े नये पहनता, उसी तरह से ये आत्मा भी, बदलती रहती है देह अपनी।। न भेद पाएंगे शस्त्र इसको, न आग इसको जला सकगी, न जल ही इसको भिगो सकेगा, न वायु इसको सुखा सकेगी।। न कटने वाली, नजलने वाली, ए न गीली होने न सूखने वाली, ये नित्य अविनाशी आत्मा तो, सदा से है और सदा रहेगी।। (2:24)

Saturday 13 August 2016

रंग लाएगी शायरी इक दिन, आएगी प्यार की सदी इक दिन। सुन के पुरवाई की कही कोई बात, मस्त झूमेगी हर कली इक दिन। दिल परीशां है सोच कर तेरी, मार डालेगी बेरूख़ी इक दिन।दोस्तों से यही गुज़ारिश है, हो न शर्मिन्दा दोस्ती इक दिन। सुन के फ़रमान सब शहीदों के, दूर ख़ुद होगी बेबसी इक दिन।

कौन उठाएगा पांव अंगद का? प्रश्न है आजकल ये संसद का। एक परिवार है ये धरती फिर, क्या है मतलब वतन की सरहद का। खुद को छोटा कोई बड़ा समझे, इस तरह ज़िक्र वे करे क़द का।कौन सोचेगा,कौन ढूंढेगा क्या है कारण दुखों की आमद का। काट डाली गईं जड़ें "असलम", पेड़ फिर भी हरा है बरगद का।

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Friday 12 August 2016

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Wednesday 10 August 2016

http://blogs.wsj.com/indiarealtime/2016/07/26/could-india-become-a-cashless-economy/